नीहारिका अग्रवाल
रविवार का दिन था। रोहित सुबह उठ कर अपने बगीचे में गया। वहाँ लॉन में उसे एक सुंदर कालीन दिखा। उसे लगा, यह जादू का कालीन है। उड़ने वाला कालीन। आकाश की परियों से नीचे गिर गया होगा। उसने अपनी बहन सोनाली को बुला कर कालीन दिखाया। जादू का सुंदर कालीन देख कर सोनाली भी बहुत खुश हुई। वह बोली, “भैया! इस पर बैठकर हम आकाश की सैर करें। बहुत मजा आएगा।”
रोहित की भी आकाश में उड़ने की बहुत इच्छा थी। दोनों भाई-बहन कालीन पर बैठ गए। एक चिड़िया तो पहले से ही कालीन पर बैठी थी। सोनाली ने ऐसे कालीन की एक कहानी सुन रखी थी। वह बोली, “चल कालीन, छोड़ ज़मीन!”
उसके इतना कहते ही कालीन ऊपर उठने लगा। कालीन को ऊपर उठता देख उनका कुत्ता मोती भी छलांग लगा कर उस पर चढ़ गया। वृक्ष की डाल पर बैठे रोमी बंदर ने कालीन को आकाश की ओर जाते देखा। उसकी इच्छा भी आकाश में जाने की हुई। वह भी तुरंत कालीन पर चढ़ने के लिए कूदा। परंतु तब तक देर हो चुकी थी। वह मुश्किल से कालीन का छोर पकड़ कर उसके साथ लटक सका।
धीरे-धीरे कालीन ऊपर को उड़ता गया। पर्वत, पक्षी सब नीचे छूट गए। कालीन बादलों से भी ऊपर चला गया। रोहित ने झुक कर नीचे की ओर देखा। उसे पहाड़ छोटे-छोटे लगे। खेत यूँ लगे मानो किसी ने धरती को हरे रंग में रंग दिया हो। सभी को ठंडी-ठंडी हवा में इतना ऊँचा उड़ना बहुत अच्छा लग रहा था।
थोड़ी देर में सूरज निकल आया। गरमी बढ़ने लगी तो सभी परेशान हो गए। सभी ने नीचे उतरना चाहा। तब सोनाली बोली, “चल मेरे कालीन, जल्दी छू ले ज़मीन!”
कुछ ही क्षणों में कालीन ज़मीन पर उतर आया। सभी आकाश की सैर कर बहुत खुश थे।
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6 टिप्पणियां:
वाह :)
अजय विश्वास जी..सुन्दर सीख देती कहानी ....बाल दिवस पर शुभ कामनाएं - हमारे सभी प्रिय बच्चों को भी बाल दिवस की बहुत ढेर सारी -इत्ती सी शुभ कामनाएं --रोशन करो इस जग को ये जहां तुम्हारा है -
बहुत सारा प्यार
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
रोचक कहानी ...कल्पना लोक में सैर कराती बालकथा
मनोरम कल्पनाओं की मनोरम बालकथा । नीहारिका को बहुत बधाई !
waah kya baat hai aap ke jaadu ke kalin ki,kahan se liya? hme bhi sath lekh chlna niharika :) bahut achcha likhti ho aap...
waah kya baat hai aap ke jaadu ke kalin ki,kahan se liya? hme bhi sath lekh chlna niharika :) bahut achcha likhti ho aap...
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