श्याम सुन्दर अग्रवाल
स्कूल में एक जादूगर आया। उसने कहा कि वह एक मंत्र जानता है। मंत्र से वह कुछ भी कर सकता है। मंत्र पढ़कर उसने खाली हैट से सफेद खरगोश निकाला। एक रुपये के नोट को दस रुपये का बना दिया। पानी का दूध बना दिया।
जादूगर तमाशा दिखा चुका तो एक बच्चा उसके पास गया। बोला, “जादूगर अंकल, मुझे अपना मंत्र सिखा दो।”
“तुम क्या करोगे मंत्र सीखकर?” जादूगर ने पूछा।
“परीक्षा में मेरे नंबर कम आते हैं। मंत्र से अपने नंबर बढ़ा लूंगा।”
उसके पीछे खड़ा दूसरा लड़का बोला, “अंकल, मैंने तो भगवान को सवा रुपये का प्रसाद चढ़ाने को भी बोला था। फिर भी फेल हो गया। मुझे भी मंत्र सिखा दो।”
जादूगर ने कहा, “बच्चो, ये तो मेहनत का मंत्र है। मैंने बहुत मेहनत कर अपने गुरू से ये सब खेल सीखे हैं। मेहनत और अभ्यास से इन्हें सफाई से करना सीख गया। जादू-वादू कुछ नहीं है। एक के दस कर सकता तो घर बैठकर ही रुपये बना लेता। तमाशा दिखाने का बच्चों से एक-एक रुपया क्यों लेता?”
बच्चे हैरान थे। जादूगर बोला, “बच्चो, मन लगाकर मेहनत करो। मेहनत के मंत्र से तुम्हें सफलता जरूर मिलेगी।”
बच्चों ने जादूगर की बात मान खूब मेहनत की। परीक्षा में दोनों को बहुत अच्छे अंक मिले।
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