रविवार, 28 फ़रवरी 2010

पांच होली गीत

गिरीश पंकज

(1)
कितनी प्यारी होली है।
मीठी -मीठी बोली है।
तरह-तरह के रंग मिले,
भर गई अपनी झोली है।।


(2)
कोई मेरे पास तो आओ।
अरे मुझे भी रंग लगाओ।
छोटा बच्चा समझ लिया है?
मुझको ऐसे मत बहलाओ।।



(3)

डैडी इक पिचकारी लाओ,
मम्मी जी पर डालो रंग।
ये करना है, वो करना है,

कर देती है मुझको तंग।


(4)
बुरा न मानो होली है ।
बच्चो की यह टोली है।
रंग लगाओ खुलकर सबको,
दीदी हमसे बोली है।
बुरा न मानो होली है…


(5)

बन्दर जैसे लाल हो गए।
हम भी अरे कमाल हो गए।
होली में खा कर रसगुल्ले,
फूले-फूले गाल हो गए।।
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बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

रामेश्वर काम्बोज हिमांशु के दो शिशु-गीत






माली


सींच-सींचकर हर पौधे को
हरा-भरा करता है माली।
रंग-बिरंगे फूलों से नित
बगिया को भरता है माली।
हर पौधे से और पेड़ से
बगिया में होती हरियाली।
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तोता


सीटी सुनकर नाच दिखाए
कुतर-कुतर कर फल खा जाए।
टें-टें करके गाता तोता
देख शिकारी झट उड़ जाए।
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मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

अजब-गजब–3






आलू का पार्क– क्रोएशिया के एक कस्बे बेलिसा में एक ऐसा पार्क बनाया जा रहा है, जो पूरी तरह से आलुओं को समर्पित होगा।इस पार्क में आलुओं के पौधों की क्यारियाँ होंगी और आलुओं पर आधारित बच्चों का प्ले पार्क होगा जिसमें आलू के आकार के झूले व घिसरनपट्टी आदि होंगे।

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मानव अस्थियां कंक्रीट से भी मजबूत होती हैंहड्डियों में एक चरम मजबूती होती है जो दबाव के तहत कंक्रीट से भी जबरदस्त होती है। अगर हड्डी के एक टुकड़े जितना ही कंक्रीट लिया जाए और दोनों पर एक जैसा दबाव बनाया जाए तो हड्डी की बनिस्पत कंक्रीट तेजी से चूरा हो जाएगा।

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लचकदार चट्टान ‘इटाकोलूमाइट’ नामक एक सैंडस्टोन(बलुआ पत्थर) पतली पट्टियों में काटने पर इतना लचकदार होता है कि इसे मोड़ा जा सकता है। परंतु यह

इतना कठोर होता है कि इससे चाकुओं की धार लगाई जा सकती है।

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