बच्चों के निर्मल मन की गहराइयों तक उतरने की चाह
सुबह-सवेरे उठना पड़ता,
फिर रहती है भागमभाग।
थके हुए स्कूल से लौटें,
तब चले ‘होमवर्क’ का राग।
जितना दिन भर पढ़ें स्कूल में,
उससे ज्यादा होमवर्क।
बच्चे कितने दुखी हैं होते,
इससे टीचर को नहीं फर्क।
बच्चे हैं हम, थक जाते हैं,
उठा के भारी बस्ता।
टीचर जी के डंडे का डर,
कर देता हालत खस्ता।
सोम-मंगल तो ठीक से बीतें,
बुध, वीर परेशानी।
शुक्र, शनि की बात न पूछो,
याद आती है नानी।
करनी होती दूर थकावट,
छ: दिन न तड़पाया करो।
‘रविवार’ बच्चों के प्यारे,
दो-तीन दिन में आया करो।
*****
बहुत सुन्दर बाल कविता के लिये बधाई
बच्चों की मनोस्थिति को दर्शाती सुंदर कविता, बधाई।
bahut hi sundar
बहुत बहुत बहुत सुन्दर कविता...वाकई बस्ते का बोझ तो बहुत होता है :) मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बाल मनुहार की कविता के लिए घन्यवाद।
वास्तव में ही बहुत प्यारी कविता है।
Bahut hi sunder kavita hai
बते का बोझ तो थकाता ही है ;परन्तु उससे ज़्यादा थकानेवाली है छह दिन की पढ़ाई ।थकान दूर करने के लिए एक और इतवार होने से अच्छा रहेगा ।बच्चों की यह पुकार ज़रूर सुनी जाए ।
यार वो भागम भाग वो मास्टरजी के डंडे सब कबूल है मुझे मेरा बचपन दे दो | सब कुछ सह लूंगा अपने बचपन की याद दिलादी !!अच्छी रचना !
manmohak balgeet hai.....
स्कून पढ़ने वाले बच्चों की स्थिति को बहुत अच्छी तरह समझा है आपने।
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11 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर बाल कविता के लिये बधाई
बच्चों की मनोस्थिति को दर्शाती सुंदर कविता, बधाई।
bahut hi sundar
बहुत बहुत बहुत सुन्दर कविता...वाकई बस्ते का बोझ तो बहुत होता है :)
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बाल मनुहार की कविता के लिए घन्यवाद।
वास्तव में ही बहुत प्यारी कविता है।
Bahut hi sunder kavita hai
बते का बोझ तो थकाता ही है ;परन्तु उससे ज़्यादा थकानेवाली है छह दिन की पढ़ाई ।थकान दूर करने के लिए एक और इतवार होने से अच्छा रहेगा ।बच्चों की यह पुकार ज़रूर सुनी जाए ।
यार वो भागम भाग वो मास्टरजी के डंडे सब कबूल है मुझे मेरा बचपन दे दो | सब कुछ सह लूंगा अपने बचपन की याद दिलादी !!अच्छी रचना !
manmohak balgeet hai.....
स्कून पढ़ने वाले बच्चों की स्थिति को बहुत अच्छी तरह समझा है आपने।
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