बुधवार, 22 जुलाई 2009

प्यार का फल



राजा संपत सिंह के मन में कई दिनों से एक सवाल उमड़-घुमड़ रहा था। आखिर एक दिन उन्होंने अपने मंत्री से पूछही लिया, “ दीवान जी, मैं बचपन से देख रहा हूँ कि हमारे राज्य में कुत्ते बहुत पैदा होते हैं। एक कुतिया एक बार मेंसात-आठ बच्चों को जन्म दे देती है। भेड़ें इससे कम बच्चों को जन्म देती हैं। फिर भी भेड़ों के तो झुंड दिखाई देते हैं, परंतु कुत्ते दो-चार ही दिखाई देते हैं। इसका क्या कारण है?”
मंत्री बहुत समझदार था। उसने कहा, “महाराज! इस सवाल का उत्तर मैं आपको कल दूँगा।”
उसी दिन शाम को मंत्री राजा को अपने साथ ले कर एक स्टोर में गया। वहाँ उसने राजा के सामने एक कोठे में बीसभेड़ें बंद करवा दी। भेड़ों के बीच में चारे का एक टोकरा रखवा कर कोठा बंद करवा दिया।
ऐसे ही उसने एक दूसरे कोठे में बीस कुत्ते बंद करवा दिए। कुत्तों के बीच रोटियों से भरी एक टोकरी रखवा दी।
अगली सवेर मंत्री राजा को लेकर उन कोठों की ओर गया। उस ने पहले कुत्तों वाला कोठा खुलवाया। राजा ने देखा किसभी कुत्ते आपस में लड़लड़ कर जख्मी हुए पड़े थे। टोकरी की रोटियां जमीन पर बिखरी पड़ी थीं। कोई भी कुत्ता एकभी रोटी नहीं खा सका था।
फिर मंत्री ने भेड़ों वाला कोठा खुलवाया। राजा ने देखा, सभी भेड़ें एक-दूसरी के गले लगी बड़े आराम से सो रहीं थीं।चारे की टोकरी बिल्कुल खाली पड़ी थी।
तब मंत्री ने राजा से कहा, “महाराज! आपने देखा कि कुत्ते आपस में लड़लड़ कर जख्मी हो गये। वे एक भी रोटी नहींखा सके। परंतु भेड़ों ने बहुत प्यार से चारा खाया और एक-दूसरी के गले लग कर सो गईं। यही कारण है कि भेड़ों कीसंख्या बढ़ती जाती है और वे एक साथ रह सकती हैं। लेकिन कुत्ते एक-दूसरे को सहन नहीं कर पाते। जिस बिरादरीमें आपस में इतनी घृणा हो, वह कैसे तरक्की कर सकती है।”
राजा को अपने सवाल का उत्तर मिल गया था।
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1 टिप्पणी:

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

बहुत ही अच्छी कहानी ...धन्यवाद...