बुधवार, 6 अप्रैल 2011

छतरी की यात्रा-1


सर्दी का मौसम है। ककरौंधे के बहुत से बच्चे हैं। उसके बच्चों का बहुत सुंदर नाम है‘छतरी’। ये देखने में छतरी जैसे ही लगते हैं।

 
वास्तव में हरेक ‘छतरी’ एक बीज है। इन के सिर पर सफेद रोएं होते हैं। हल्की-सी हवा चलने पर भी ये ‘छतरियाँ उड़ने लगती हैं। 


ककरौंधे का पड़ोसी गोखरू है। उसने भी अपने बच्चों का अच्छा सा नाम रखा है ‘साही’। असल में ‘साही’ भी एक छोटा-सा बीज है। उसकी शक्ल अजीब होती है। उसका शरीर साही की तरह कंटीला होता है।
ककरौंधे ने अपने बच्चों से कहा, तुम मैदान में जाओ।
छतरियों ने ‘साही’ से कहा, हम यात्रा पर जा रही हैं। आप भी हमारे साथ चलो।
      साही ने अभी जवाब भी नहीं दिया था कि हवा ने फूंक मारी और छतरियाँ आसमान में उड़ गईं।




उड़ते-उड़ते छतरियों ने देखा कि देवदार का एक बीज जमीन से फूट रहा है।


 
देवदार के बीज ने छतरी को बताया, गिलहरी मुझे अपने घर ले जा रही थी, पर लापरवाही से उसने मुझे यहाँ गिरा दिया।
एक छतरी ने हैरान होते हुए कहा, अरे वाह! आप इस तरह सफर करते हो।



1 टिप्पणी:

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर कहानी| धन्यवाद|