![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh-sPMabcKcyOMl-vGcZHq-7avhG1KZ9NzbWr5nrtFFSmgCrXX__0PqRLrBwmFBwTaR0-Ca1p-2euufiZHvQ0irZX4jkMomB3yeV49tcFKAq4isJ8xeid-OuCBQxp9HfJJBJVA3cxUr20k/s400/images-1.jpg)
लाल-पीला मिला हुआ रंग
ऊपर काली धारी।
कहीं-कहीं पर फिरी सफेदी
यह पहचान हमारी।
शरीर बहुत है लंबा
है भी भारी भरकम।
दौड़ तो बहुत तेज लगाते
पर जल्दी फूले दम।
सांभर, चीतल, भैंसे जंगली
बनें खुराक हमारी।
‘राष्ट्रीय-पशु’ की मिली उपाधि
यह है शान हमारी।
*****
ऊपर काली धारी।
कहीं-कहीं पर फिरी सफेदी
यह पहचान हमारी।
शरीर बहुत है लंबा
है भी भारी भरकम।
दौड़ तो बहुत तेज लगाते
पर जल्दी फूले दम।
सांभर, चीतल, भैंसे जंगली
बनें खुराक हमारी।
‘राष्ट्रीय-पशु’ की मिली उपाधि
यह है शान हमारी।
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5 टिप्पणियां:
इस पोस्ट की चर्चा यहाँ है -
कान्हा मेरे मन का मीत : सरस चर्चा (12)
सचमुच, आपकी पोस्ट बहुत बढ़िया है।
--
इसकी चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/09/16.html
राष्ट्रीय-पशु’ की मिली उपाधि
यह है शान हमारी।
...Bahut sundar.
Bahut acchi kavita....aabhar
main nanhi blogger
अनुष्का
बाघ का सरल और सरस भाषा में किया गया चित्रण बच्चों के लिए मनोहारी बन गया है ।
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