शनिवार, 18 जुलाई 2009
ओले-ओले, बर्फ के गोले
बच्चो, कई बार वर्षा के दौरान पानी की बूँदों के साथ बर्फ के छोटे-छोटे गोले हैं भी गिरते हैं। इन्हें हम ओले कहते हैं। आओ जानें कि क्यों गिरते हैं ओले?
हम ज्यों-ज्यों सागर की सतह से ऊपर उठते जाते हैं, तापमान कम होता जाता है। तभी तो लोग गरमी के मौसम में पहाड़ों पर जाना पसंद करते हैं। नीचे धरती पर तापमान कितना भी हो, ऊपर आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो सकता है। पानी को जमा देने वाला। हवा में मौजूद नमी पानी की छोटी-छोटी बूँदों के रूप में जम जाती है। इन जमी हुई बूँदों पर और पानी जमता जाता है। धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेती हैं। जब ये गोले वजनी हो जाते हैं तो नीचे गिरने लगते हैं। गिरते समय रास्ते की गरम हवा से टकरा कर बूँदों में बदल जाते हैं। अधिक मोटे गोले जो पूरी तरह नहीं पिघल पाते, वे बर्फ के गोलों के रूप में ही धरती पर गिरते हैं। इन्हें ही हम ओले कहते हैं।
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2 टिप्पणियां:
इस रचना में दी गयी जानकारी बच्चों के लिए उपयोगी है, अलग-अलग विषयों पर लिखती रहें।
कमलेश जी,हौसला-अफजाई के लिए धन्यवाद। प्रयास रहेगा कि आपकी आशाओं पर खरी उतर सकूँ।
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