बच्चो, आजकल बादलों की बहुत चर्चा हो रही है। जहाँ वर्षा नहीं हो रही वहाँ लोग आकाश की ओर देखते हुए बादलों की प्रतीक्षा करते रहते हैं। तरह-तरह के टोटके करते हैं कि बादल आएं और उनके यहाँ मेंह बरसाएं। जहाँ ये लगातार झमाझम बरस रहें हैं, वहाँ बाढ़ की सी स्थिति बन रही है। लोग बादलों को कुछ समय के लिए चले जाने को कह रहे है।
आओ आज बादलों के बारे में जानें। हम जानते हैं कि नदियों, झीलों, तालाबों और सागरों का पानी सूर्य की गरमी से भाप में बदल जाता है। यह भाप वाष्प के रूप में हवा में मिल जाती है। वाष्प मिली गर्म हवा हल्की हो ऊपर आसमान में चली जाती है। जब हवा से भरे वाष्प एक स्थान पर एकत्र होते हैं तो वे धुएं जैसे दिखाई देते हैं। इसे ही बादल कहते हैं। बादल दस प्रकार के होते हैं। परंतु विभिन्न आकारों और आकृतियों के आधार पर इन्हें चार मुख्य भागों में बाँटा गया है।
1) सायरस बादलः सायरस बादल सफेद रंग के होते हैं और पक्षियों के पंखों जैसे दिखाई देते हैं। ये बर्फ के छोटे कणों से बने होते हैं। इनकी ऊँचाई 8000 से 11000 मीटर के बीच होती है।
2) स्ट्रैटस बादलः इन बादलों का निर्माण लगभग 2400 मीटर की ऊँचाई पर होता है। ये धुँध की परतों जैसे दिखाई देते हैं। ये बादल खराब मौसम और बूंदाबांदी के सूचक होते हैं।
3) क्यूमुलस बादलः ये बादल लगभग 1220 से 1525 मीटर की ऊँचाई पर बनते हैं।ये ऊपर से गुंबद जैसे और नीचे से सपाट होते है। ये आकाश में सफेद पहाड़ या कपास के ढ़ेर जैसे दिखाई देते हैं।
4) निम्बोस्ट्रैट्स बादलः ये बादल बहुत कम ऊँचाई पर बनते हैं। ये पानी के नन्हें कणों से बने होते हैं। इनका रंग गहरा भूरा अथवा काला होता है। यही वे बादल हैं जो धरती पर वर्षा करते हैं।
सबसे अधिक ऊँचाई पर बनने वाले बादलों को नाक्टील्यूमैंट बादल कहते हैं। इनकी ऊँचाई 48000 से 80000 मीटर तक हो सकती है।
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3 टिप्पणियां:
'बादल कैसे बनते हैं?' पढ़कर मेरा भी ज्ञानवर्द्धन हुआ ।
बच्चों के लिए नई व महत्वपूर्ण जानकारी है।
बादलों संबंधी दी गई जानकारी ज्ञानवर्धक है।
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