आपने देखा होगा कि बहुत से लोग नल (हैंडपंप) के ताजा पानी से नहाना पसंद करते हैं। उन्हें गरमियों में नल का पानी ठंडा लगता है तथा सर्दियों में कोसा। गरीब लोग तो अक्सर ही गरमियों में नल चला कर ताजा पानी निकाल कर पीते हैं। वह ताजा पानी उन्हें ठंडा लगता है।
ऐसा क्यों होता है कि गरमियों में धरती के भीतर से निकलने वाला पानी ठंडा हो जाता है तथा सर्दियों में गरम? आओ इसका कारण जानें।
हमारी पृथ्वी ताप की बहुत ही बुरी चालक है। इसकी गहराई में बाहरी तापमान में आए बदलाव का प्रभाव बहुत ही मंद गति से पड़ता है। मान लो कि अगर आज पृथ्वी के ऊपर का तापमान 35 डिग्री सैल्सियस से 40 डिग्री सैल्सियस हो जाता है तो इस तापमान को धरती के नीचे तीन मीटर की गहराई तक पहँचने में लगभग 76 दिन का समय लग जायेगा। अगर धरती के ऊपर का तापमान 35 डिग्री सैल्सियस से 30 डिग्री सैल्सियस हो जाता है तो तीन मीटर की गहराई पर इसका प्रभाव लगभग 108 दिन में पड़ेगा। इससे आगे की गहराई तक पहुँचते इस प्रभाव की गति और भी धीमी हो जाती है। बहुत अधिक गहराई तक तो यह प्रभाव जाता ही नहीं।
इस तरह हम कह सकते हैं कि धरती के ऊपर तापमान में आई तबदीली, धरती की बहुत गहराई (जहाँ से हम नल द्वारा पानी निकालते हैं) तक असर नहीं करती। वहाँ शताब्दियों तक तापमान स्थिर रहता है। पैरिस की एक वेधशाला के नीचे 28 मीटर की गहराई पर लगभग दो सौ वर्षों से एक थर्मामीटर रखा हुआ है। इस थर्मामीटर का पारा अभी तक अपने स्थान से जरा-सा भी नहीं हिला। वह सदा ही एक-सा तापक्रम (+11.7 डिग्री सैल्सियस) दर्शाता है।
इससे तो यही सिद्ध हुआ कि किसी भी मौसम में नल द्वारा जमीन से निकलने वाले पानी का तापमान एक जैसा ही होता है। बाहरी तापमान में आई तबदीली के कारण ही यह हमें गरमियों में ठंडा तथा सर्दियों में कोसा लगता है। गरमियों में धरती के ऊपर का तापमान बहुत अधिक हो जाता है, जिससे हमारा शरीर गरमी महसूस करता है। नल के पानी का तापमान बाहरी तापमान के मुकाबले कम होता है, इसलिए ही वह ठंडा लगता है।
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2 टिप्पणियां:
अच्छा आलेख किरण जी - बच्चों के साथ साथ कुछ नयी जानकारियाँ मेरे लिए भी है इसमें।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत अच्छा आलेख! काफ़ी जानकारियां दी हैं आपने
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