बरसात के मौसम में हमारी निगाहें आकाश की ओर ही लगी रहती हैं। आकाश में थोड़े से भी काले बादल दिखाई देते हैं तो हमारा मन खुशी से भर उठता है। बारिश की आस बंधती है। कई बार ऐसा होता है कि आसमान काले-काले बादलों से भर जाता है। लगता है, अभी तेज वर्षा होगी, लेकिन बादल एक बूँद पानी बरसाए बिना ही गायब हो जाते हैं। ऐसा क्यों होता है? बरसाती बादलों में बहुत ही सूक्ष्म जलकण मौजूद होते हैं। ठंडी हवा के संपर्क में आने से इन जलकणों का आकार बढ़कर बूँदों का रूप धारण कर लेता है। बूँदें भारी होने के कारण वर्षा के रूप में धरती पर गिरने लगती है। इसलिए जिस स्थान की हवा ठंडी होती है वहाँ अधिक वर्षा होती है। जहाँ पर बादलों के नीचे की हवा गरम होती है, वहाँ बादलों में मौजूद जलकण फिर से वाष्प में बदल जाते हैं और बादल बिन बरसे ही चले जाते हैं।
इसलिए ही तो कहते हैं कि अपनी धरती पर वृक्ष लगाकर उसे हरी-भरी रखो। धरती हरी-भरी होगी तो बादल खूब बरसेंगे।
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5 टिप्पणियां:
काव्यात्मक शीर्षक के साथ एक अच्छा बालोपयोगी लेख।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
किरण जी आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है।
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धन्यवाद!
अच्छी जानकारी दी आपने। आज मैं भी अपने बच्चों से यह प्रश्न पूछती हूँ।
बहुत उपयोगी..
विज्ञान को सरल ढंग से ही बच्चों तक पहुँचाया जा सकता है ।
काम्बोज
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