सोमवार, 13 जुलाई 2009

हाथी और कार







हाथी ने एक रोक ली,
बीच सड़क पर कार।
बोला, मुझे बिठाओ भीतर ,
जाना है हरिद्वार।

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3 टिप्‍पणियां:

भंगार ने कहा…

bahut achi soch likhi

M VERMA ने कहा…

बिठा लेते तो क्या जाता
बस बढ जाता थोडा सा भार

सहज साहित्य ने कहा…

ये कविताएँ बच्चों के मन में अपना स्थान बनाएँदी। काम्बोज