सोमवार, 8 जून 2009

बिल्ली बोली…




बिल्ली बोली म्याऊँ,
मैं चूहे को खाऊँ।
चूहा बोला, भाग जा,
नहीं मैं पकड़ा जाऊँ।

7 टिप्‍पणियां:

सहज साहित्य ने कहा…

नन्हें -मुन्नों की भाषा में सरल और आसान कविता ।

gazalkbahane ने कहा…

बादल भैया बादल भैया
आओ नाचें ता ता थैया
http//:gazalkbahane.blogspot.com/या
http//:katha-kavita.blogspot.com पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की कष्टकारी एवं उबाऊ प्रक्रिया हटा दें

Unknown ने कहा…

waah waah waah waah

ज्योति सिंह ने कहा…

har man ke bhitar ek nanhaa bachchaa hota hai ,bachapan kabhi nahi marta hai .blog sundar hai badhaai ho .

उम्मीद ने कहा…

आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

bachche man ke sachche.narayan narayan

राजेंद्र माहेश्वरी ने कहा…

बचपन:- यह शब्द हमारे सामने नन्हे-मुन्नों की एक ऐसी तस्वीर खिंचता हैं, जिनके हृदय में निर्मलता, ऑखों में कुछ भी कर गुजरने का विश्वास और क्रिया-कलापो में कुछ शरारत तो कुछ बडों के लिए भी अनुकरणीय करतब।