मंगलवार, 16 जून 2009

घड़ी




टिक-टिक करती चले घड़ी,
बिना पांव के खड़ी-खड़ी।
अके नहीं, ये थके नहीं,
चाहे दीवार पर रहे चढ़ी।
***

3 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

बच्चों के लिए अच्छी रचना।

यह घड़ी हर घड़ी काम आएगी।
वक्त के साथ सबको चलना सिखाएगी।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Udan Tashtari ने कहा…
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RAJNISH PARIHAR ने कहा…

बच्चों के लिए बहुत कम लिखा जा रहा है...!बहुत ही अच्छी कविता..!कृपया बच्चों के लिए कोई प्रतियोगिता.. शुरू करें...