सोमवार, 22 जून 2009
मेंढक नाचे ता-ता-थैया
श्याम सुन्दर अग्रवाल
उमड़-घुमड़ कर आए बादल
छाई घटा घनघोर ।
हर्षाये सब पशु और पक्षी,
जंगल में नाचा मोर ।
रिमझिम-रिमझिम वर्षा आई,
नन्नू-मन्नू सब को भाई ।
नाच उठी नन्ही गुड़िया भी,
वह तो मींह में खूब नहाई ।
तपती धरती शीतल हो गई,
मिला खेत को पानी ।
सूख रहे थे पेड़ और पौधे,
उन्हें मिली नई जिंदगानी ।
जी भर कर जब बरसे बादल,
भर गए सूखे ताल-तलैया ।
कोयल और पपीहा गाएं,
मेंढक नाचे ता-ता-थैया ।
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5 टिप्पणियां:
सुन्दर बाल कविता। वाह।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत ही सुन्दर कविता है ...........एक सुन्दर गीत है ............जिसमे झरना सी निर्झरता है ......बहुत सुन्दर
लो बारिश आ गयी। आनन्द आया कविता पढ़ कर।
बहुत सुन्दर.
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