रविवार, 21 जून 2009

तितली



तितली बाई, तितली बाई,
कहाँ से इतने रंग हो लाई?
ले चलो मुझको अपने संग,
दिलवा दो थोड़े से रंग।


इंद्रधनुष तक जाती हूँ,
रंग वहीं से लाती हूँ।
तुम तो उड़ नहीं पाओगे,
कैसे वहाँ तक जाओगे?

6 टिप्‍पणियां:

Gyan Darpan ने कहा…

बहुत बढ़िया !

ओम आर्य ने कहा…

bahut hi sundar baal kawita .........baal man ko chhooti huee

IMAGE PHOTOGRAPHY ने कहा…

तितलीयो कि दुनिया इन्द्रधनुष के रंगो से भी आगे है,
सुन्दर कविता ......

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर..

रंजन (Ranjan) ने कहा…

बहुत अच्छी रचना..

(इस ब्लोग की कड़ी आदि के ब्लोग में जोड़ रहा हूँ)

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

बहुत सुन्दर.