बच्चों के निर्मल मन की गहराइयों तक उतरने की चाह
रतन चन्द रत्नेश
मेले से लेकर आयी
मुन्नी एक गुड़िया।
रात होते ही जो
बन जाती थी बुढ़िया।
हमने पूछा मुन्नी से
बुढ़िया कैसे बनती गुड़िया।
कहने लगी खिलाती इसको
मैं जादू की पुड़िया।
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बहुत मज़ेदार!
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1 टिप्पणी:
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