मंगलवार, 30 मार्च 2010

क्या है लाफिंग गैस?



बच्चो, अश्रु-गैस (टीअर गैस) के बारे में तो आपने सुना ही होगा। पुलिस इसका प्रयोग अकसर प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए करती है। यह गैस लोगों की आँखों पर तेजी से प्रभाव डालती है तथा उनमें से आँसू बहने लगते हैं। इसलिए ही इसे अश्रु-गैस कहते हैं।

जैसे टीअर गैस लोगों को रुलाती है वैसे ही लाफिंग गैस लोगों को हंसाने का काम करती है। लाफिंग-गैस अर्थात हँसाने वाली गैस को नाइट्रस ऑक्साइड (n2o) कहते हैं। लाफिंग-गैस की खोज का श्रेय इंगलैंड के वैज्ञानिक जोसफ प्रीस्टलै को जाता है। उन्होंने इस गैस का आविष्कार 1772 ईस्वी में किया। सूँघने पर यह गैस हमारे रक्त में मिश्रित होकर दिमाग के हँसी-केंद्र को उत्तेजित कर देती है। इसी उत्तेजना के कारण मनुष्य जोर-जोर से हँसने लगता है।जहाँ इस गैस का प्रभाव शीघ्रता से होता है, वहीं समाप्त भी जल्दी होता है। आरम्भ में इस गैस का प्रयोग डॉक्टर बिना दर्द महसूस किए मरीजों के दाँत निकालने के लिए करते थे।
अधिक मात्रा में लाफिंग-गैस को सूँघना हानिकारक हो सकता है। इससे हिस्टीरिया के हल्के दौरे पड़ सकते हैं।

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