श्याम सुन्दर अग्रवाल
मेरी प्यारी दादी-माँ, सब से न्यारी दादी-माँ । बड़े प्यार से सुबह उठाए, मुझको मेरी दादी-माँ ।
नहला कर वस्त्र पहनाए, खूब सजाए दादी-माँ । उठा कर बैग स्कूल का, मेरे संग-संग जाए दादी-माँ ।
आप न खाए मुझे खिलाए, ऐसी प्यारी दादी-माँ । फलों का जूस, गिलास दूध का, मुझे रोज पिलाए दादी-माँ ।
सुंदर वस्त्र और खिलौने, मुझे दिलाए दादी-माँ । बात सुनाए, गीत सुनाए, रूठूँ तो मनाए दादी-माँ ।
यह करना है, वह नहीं करना, नित्य समझाए दादी-माँ । लोरी देकर पास सुलाए, मेरी प्यारी दादी-माँ ।। -0-
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2 टिप्पणियां:
इस कविता में बहुत स्नेह पगा है ।
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
दादी-मां की सही व सुन्दर तस्वीर!
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