रतन चन्द रत्नेश
चश्मा चढ़ाए आंखों पर,
बिल्ला जी पढ़ रहे थे अखबार।
एक खास खबर को वे
बांच रहे थे बार-बार।
तभी रसोई से चीखी बिल्ली,
बाद में पढ़ना यह अखबार।
बच्चों ने नाश्ता करना है,
चूहे मार लाओ दो चार।
बिल्ला बोला, तुम्हें खबर है
क्या कर रही अपनी सरकार।
चूहे अब मिला करेंगे,
खुलेआम बीच बाजार।
*****
चश्मा चढ़ाए आंखों पर,
बिल्ला जी पढ़ रहे थे अखबार।
एक खास खबर को वे
बांच रहे थे बार-बार।
तभी रसोई से चीखी बिल्ली,
बाद में पढ़ना यह अखबार।
बच्चों ने नाश्ता करना है,
चूहे मार लाओ दो चार।
बिल्ला बोला, तुम्हें खबर है
क्या कर रही अपनी सरकार।
चूहे अब मिला करेंगे,
खुलेआम बीच बाजार।
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6 टिप्पणियां:
सही है ....बिल्ला बिल्ली की तो निकल पड़ी , अब मेहनत नहीं करनी पड़ेगी :)
मज़ेदार कविता .
अनुष्का
बहुत प्यारा शिशु-गीत...बधाई.
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'पाखी की दुनिया' में पाखी की इक और ड्राइंग...
लयात्मकता कुछ और बढ़ायी जा सकती थी...कविता अन्यथा बहुत सुंदर है
शिशुगीत बहुत ही बढिया है!
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आपकी पोस्ट को बाल चर्चा मंच में लिया गया है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/24.html
bachpan yad a gaya..........badhiya
नटखट कविता।
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