बच्चो, सर्दी का मौसम चल रहा है। सर्दियों में जिस दिन हवा न चल रही हो, आपने राहत महसूस की होगी। हवा न चल रही हो तो कम तापमान पर भी हमारा शरीर अधिक परेशानी नहीं मानता। अगर तेज हवा चल रही हो तो वही ठंड असहनीय लगती है। ऐसा क्यों होता है?
बच्चो, थर्मामीटर का पारा हवा चलने से नीचे नहीं गिरता। ठंड में हवा चलने पर अधिक ठंड लगने का कारण यह हैकि शरीर से (विशेषकर शरीर के खुले भागों से) शांत मौसम के मुकाबले अधिक गर्मी निकल जाती है। हमारे चेहरे तथा शरीर के अन्य अंगों के पास की हवा हमारे शरीर की गर्मी से धीरे-धीरे गर्म हो जाती है। फिर चेहरे तथा शरीर पर लिपटा गर्म हवा का यह कवच शरीर से निकलने वाली गर्मी को रोकता है। यदि हमारे गिर्द हवा स्थिर है तो शरीर के पास की गर्म हवा की परत ठंडी व भारी हवा द्वारा बहुत मंद गति से ऊपर की ओर विस्थापित होती है। जब हवा चलती है तो वह शरीर के पास की गर्म हवा को एकदम से परे हटा देती है तथा ठंडी हवा शरीर को स्पर्श करने लगती है। हवा जितनी तेज होगी, प्रति मिनट उसकी उतनी ही अधिक मात्रा शरीर को स्पर्श करती हुई निकलेगी। इससे हमारे शरीर से प्रति मिनट ताप खोने की मात्रा भी उतनी ही अधिक होगी। इससे शरीर को तेज ठंड महसूस होती है।
तेज हवा के चलने से अधिक ठंड लगने का एक कारण और भी है। हमारी चमड़ी से वाष्प के रूप में नमी निकलती रहती है। इसके वाष्पीकरण के लिए ताप चाहिए। यह ताप हमारे शरीर के समीप की गर्म हवा की परत से मिलता है। यदि हवा स्थिर हो तो वाष्पीकरण की गति मंद होती है। वह इसलिए कि चमड़ी के पास की हवा वाष्प से जल्दही तृप्त हो जाती है। लेकिन अगर हवा तेज चल रही है और हमारी चमड़ी को स्पर्श करती हुई गुजरती है तो वाष्पीकरण की गति अपनी प्रचंडता बनाये रखती है। तब इसके लिए अधिक ताप खर्च होता है, जो हमारे शरीर से ही लिया जाता है। इसलिए भी चलती हवा में हम स्थिर हवा के मुकाबले अधिक ठंड महसूस करते हैं।
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1 टिप्पणी:
बहुत ही काम की जानकारी सरल शब्दों में
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