सुंदर-सुंदर लाल टमाटर
खाने को मन करता,
खट्टा-मीठा इसका स्वाद
सब का मन है हरता।
मम्मी इसको सब्जी कहती
‘मैम’ है कहती फल,
छोटी बहना मेरी इसको
कहती सदा टमाटल।
मम्मी सूप पिलाती इसका
और सलाद में देती रहती,
सॉस टमाटर का खाने को
हमारी लार टपकती रहती।
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9 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर बालगीत|
ब्रह्माण्ड
टमाटर की कविता तो बहुत सुंदर पर आज ज़रा मंहगा है...
इसे तो हम भी सलाद में खाते हैं!
यम यम .....मुझे भी टमाटर बहुत अच्छा लगता है
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
यम्मी..... टमाटर तो बहुत ही अच्छे होते है. मैंने तो रेड कलर टमाटर से ही पहचाना सीखा है...thank you
मुझे तो टमाटर बहुत अच्छे लगते हैं..प्यारी बाल-कविता..बधाई.
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'पाखी की दुनिया' में 'करमाटांग बीच पर मस्ती...'
आपने खूबसूरत कविता के माध्यम से टमाटर का पूरा इतिहास ही बता दिया है । इसका मूल नाम टमाटल ही था ।
बहुत सुन्दर बाल कविता है!
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आपकी पोस्ट की चर्चा तो यहाँ भी है!
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http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/09/18.html
sundar ji bahut sundar.
tamatar tamatar tamatar...maza aa gaya.
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