गिरीश पंकज
(1)
वर्षा रानी जल्दी आओ,
इस गर्मी से हमें बचाओ।
अपना हुकुम चलाती है,
हम सबको झुलसाती है।
सूखी-सूखी नदी देखकर,
ये दुनिया घबराती है।
पानी से डरती है गर्मी,
इसको फ़ौरन सबक सिखाओ।
वर्षा रानी जल्दी आओ,
इस गर्मी से हमें बचाओ।
(2)
आओ कोई पौधा लाएँ,
आँगन में हम उसे लगाएँ।
कल को ठंडी छाँव मिलेगी,
गर्मी से ऐसे टकराएँ।
आओ कोई पौधा लाएँ।
पेड़ हमारे रक्षक हैं,
हरे-भरे ये शिक्षक हैं।
पत्थर खा कर देते फल,
गर्मी का है सुन्दर हल।
इस धरती को चलो बचाएँ।
आओ कोई पौधा लाएँ,
आँगन में हम उसे लगाएँ।
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6 टिप्पणियां:
WAQY ME BAHUT KHUB
SHANDAR RACHNA
BADHAI AAP KO IS KE LIE
बहुत सुन्दर..
अब तो बारिश आ गई..
बहुत सुन्दर..
अब तो बारिश आ गई..
आपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा मैंने यहाँ भी की है!
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http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/06/1.html
मनभावन होने के कारण
"सरस पायस" पर हुई "सरस चर्चा" में
इन्हें देख मन गाने लगता!
शीर्षक के अंतर्गत
इस पोस्ट की चर्चा की गई है!
बहुत सुन्दर पोस्ट.....
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