माली
सींच-सींचकर हर पौधे को
हरा-भरा करता है माली।
रंग-बिरंगे फूलों से नित
बगिया को भरता है माली।
हर पौधे से और पेड़ से
बगिया में होती हरियाली।
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तोता
सीटी सुनकर नाच दिखाए
कुतर-कुतर कर फल खा जाए।
टें-टें करके गाता तोता
देख शिकारी झट उड़ जाए।
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4 टिप्पणियां:
बहुत ही प्यारे शिशु गीत हैं । बधाई....सीमा सचदेव ।
आज पहली बार आपका ब्लाग देखा , मुझे बहुत खुशी होती है किसी लेखक को बाल-साहित्य को समर्पित देखकर । आपका प्रयास सराहनीय है ।
sunda-sundar pyare geet.
geet ban gaye hai manmeet.
banaa rahe baal-sansaa,
baante kavita sabko pyaar..
himaanshu ji ko badhai,achchhe geet ke liye...
निसंदेह, दोनों गीत बहुत अच्छे हैं!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की –
"नवसुर में कोयल गाता है, मीठा-मीठा-मीठा!
हो... हो... होली है!
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संपादक : सरस पायस
....बहुत मीठे-मीठे गीत !!
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