रविवार, 1 मई 2011

गरमी आई



गरमी आई, गरमी आई,
हाथी को बिलकुल न भाई।

मैनेजर को फोन लगाया,
बड़ा-सा बाथ-टब मंगवाया

बाथ-टब से बन गई बात,
 गरमी से मिल गई निजात।
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5 टिप्‍पणियां:

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

अजय विश्वास जी बहुत सुन्दर हाथी दादा को आप ने ठंडा कर दिया कोमल बच्चों को ये गणेश जी बहुत मजा लगायेंगे -और वे आनंद पाएंगे
धन्यवाद

Unknown ने कहा…

bahut achchhi rachna

Unknown ने कहा…

manmohak rachna...

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

रोचक . मनभावन प्रस्तुति . बहुत सुंदर . मेरी शुभकामनाएँ

चूहेमल का देखो खेल

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

मनभावन शिशु गीत. बहुत सुंदर . मेरी शुभकामनाएँ

चूहेमल का देखो खेल