बच्चों के निर्मल मन की गहराइयों तक उतरने की चाह
डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
टिक-टिक, टिक-टिक, करे घड़ी,
क्या कहती है अरे , घड़ी?
कहती– जो चलते जाते हैं,
वे अपनी मंजिल पाते हैं।
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बहुत सही !!
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1 टिप्पणी:
बहुत सही !!
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