रविवार, 22 अगस्त 2010

पहेलियाँ-9

1.सुबह, दोपहर. शाम को,

मैं लोगों को भाती।

सब्जी के संग मेल है,

आदि कटे तो पाती।


2.लख से मेरा नाम है,

हूँ नवाबों का शहर।

राजधानी एक राज्य की,

नहीं मैं कोई गैर।


3.एक किले के लाख द्वार,

नहीं किसी के कोई कपाट,

फिर भी कोई घुस न पाए,

राजा सोए डाल के खाट।


4.दिन में चलती, रात को चलती,

नहीं करती कभी आराम।

सब उसको हैं देखा करते,

दीवार पर उसका धाम।


5.इधर की बात उधर मैं करता,

उधर की इधर बताता।

चुगलखोर पर कहे न कोई,

सबके काम मैं आता।

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पहेलियों के उत्तर:1.चपाती 2.लखनऊ 3.मच्छरदानी 4.दीवार घड़ी 5.टैलीफोन

2 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

१ --- चपाती

२ -- लखनऊ

३ --

४ -- दीवार घडी

५ -- फोन

सहज साहित्य ने कहा…

बहुअत रोचक , ज्ञान वर्धक !