(१)
गरमी जी ओ गरमी जी,
क्यों इतनी बेशरमी जी।
पी लो थोड़ा ठंडा पानी,
ले आओ कुछ नरमी जी।
गरमी जी ओ गरमी जी...
(२)
गरमी आयी, गरमी आयी
गोलू जी को मस्ती छाई।
छुट्टी है अब धमाचौकड़ी,
मम्मी जी की आफत आयी।
गरमी आयी,.गरमी आयी...
(३)
सूरज दादा गुस्से में है.
अभी न घर से बाहर जाना.
गरम-गरम थप्पड़ मारेंगे,
बैठ के घर में कुल्फी खाना.
(४)
गरमी से लड़ने वाले हम,
नहीं रहेंगे अब चुपचाप।
पी कर पानी हम निकलेंगे,
देखे क्या कर लेंगे आप?
(५)
इत्ती गरमी, हाय रे दैया
चीख रही देखो गौरैया।
लाओ कटोरा भर दो पानी,
प्यारी-प्यारी मेरी मैया।
इत्ती गरमी, हाय रे दैया...
*****
4 टिप्पणियां:
---- चुटकी----
सर्दी
प्रचंड गर्मी
आंधी
फिर
बरखा बहार,
मानो ना मानो
यही है
हमारे
जीवन का सार।
बढ़िया होने के कारण
इस पोस्ट को चर्चा मंच पर
"आज ख़ुशी का दिन फिर आया"
के रूप में सजाया गया है!
सरस पायस के द्वारा आपके ब्लॉग तक आया हूँ, बढियां लगा , कविताएं बहुत प्यारी है
http://madhavrai.blogspot.com/
सरस पायस के द्वारा आपके ब्लॉग तक आया हूँ, बढियां लगा , कविताएं बहुत प्यारी है
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