देवदार से बात कर छतरियाँ आगे की ओर उड़ने लगीं। अचानक उन्हें तड़ाक-तड़ाक की आवाज सुनाई दी। बात यह थी कि सोयाबीन की फली चटकी थी। सोयाबीन का बच्चा फली से बाहर कूदा।
बाहर कूदते ही बच्चा जमीन पर गिर पड़ा और सो गया। जब वह जागा तो उसमें से अंकुर निकला।
छतरियाँ आगे की ओर उड़ती रहीं। एक छतरी तो बहुत आगे निकल गई। जब वह तालाब के सामने से गुजरी तो देखा– कमल पर एक फव्वारे जैसा फल लगा हुआ है और उसमें बहुत सारे बीज भी हैं।
फिर ‘गड़प’ करके कमल का फल पानी में गिर गया। कमल ने छतरी को बताया, “धीरे-धीरे इसका छिलका सड़ जायेगा। फिर बीज पानी की सतह पर तैरते हुए दूर चले जायेंगे।
देर तक सफर करने के बाद छतरी थक गई। वह एक मैदान में उतरी और आराम करने लगी।
हवा चलती रही और उसने ‘छतरी’ को मिट्टी की चादर ओढ़ा दी। सूरज उसे धूप से सेंक देता रहा। बादल उसे पानी पिलाता रहा। कुछ दिनों बाद छतरी जागी और उसने अपना सिर मिट्टी से बाहर निकाला। धीरे-धीरे उसमें से पत्तियाँ निकल आईं और वह ककरौंधे का पौधा बन गई।
ककरौंधे के पौधे ने अपनी आँख खोली तो देखा कि उसके पास एक गोखरू का पौधा उगा हुआ है। ककरौंधे ने पूछा, “गोखरू भाई, आप यहाँ किस तरह आए?”
गोखरू ने मुस्कराते हुए कहा, “ जब तुम उड़ीं तो मैं बहुत उदास हो गया। उसी समय एक हिरन दौड़ता हुआ वहाँ से गुजरा। मैं उसके शरीर से चिपक गया और उसके साथ-साथ यात्रा करने लगा। यहाँ आकर उसने अपने शरीर को खुजलाया और मुझे गिरा दिया।”
ककरौंधे के पौधे ने खुशी से हँसते हुए कहा, “वाह! वाह! कितनी दिलचस्प बात है कि आप हिरन पर सवार होकर यात्रा करते हो।”
वे अच्छे दोस्त हैं। अब वे एक ही जगह रहते हैं और बहुत खुश हैं।