बुधवार, 14 सितंबर 2011

जादू का कालीन



नीहारिका अग्रवाल


रविवार का दिन था। रोहित सुबह उठ कर अपने बगीचे में गया। वहाँ लॉन में उसे एक सुंदर कालीन दिखा। उसे लगा, यह जादू का कालीन है। उड़ने वाला कालीन। आकाश की परियों से नीचे गिर गया होगा। उसने अपनी बहन सोनाली को बुला कर कालीन दिखाया। जादू का सुंदर कालीन देख कर सोनाली भी बहुत खुश हुई। वह बोली, भैया! इस पर बैठकर हम आकाश की सैर करें। बहुत मजा आएगा।
रोहित की भी आकाश में उड़ने की बहुत इच्छा थी। दोनों भाई-बहन कालीन पर बैठ गए। एक चिड़िया तो पहले से ही कालीन पर बैठी थी। सोनाली ने ऐसे कालीन की एक कहानी सुन रखी थी। वह बोली, चल कालीन, छोड़ ज़मीन!
उसके इतना कहते ही कालीन ऊपर उठने लगा। कालीन को ऊपर उठता देख उनका कुत्ता मोती भी छलांग लगा कर उस पर चढ़ गया। वृक्ष की डाल पर बैठे रोमी बंदर ने कालीन को आकाश की ओर जाते देखा। उसकी इच्छा भी आकाश में जाने की हुई। वह भी तुरंत कालीन पर चढ़ने के लिए कूदा। परंतु तब तक देर हो चुकी थी। वह मुश्किल से कालीन का छोर पकड़ कर उसके साथ लटक सका।
धीरे-धीरे कालीन ऊपर को उड़ता गया। पर्वत, पक्षी सब नीचे छूट गए। कालीन बादलों से भी ऊपर चला गया। रोहित ने झुक कर नीचे की ओर देखा। उसे पहाड़ छोटे-छोटे लगे। खेत यूँ लगे मानो किसी ने धरती को हरे रंग में रंग दिया हो। सभी को ठंडी-ठंडी हवा में इतना ऊँचा उड़ना बहुत अच्छा लग रहा था।
थोड़ी देर में सूरज निकल आया। गरमी बढ़ने लगी तो सभी परेशान हो गए। सभी ने नीचे उतरना चाहा। तब सोनाली बोली, चल मेरे कालीन, जल्दी छू ले ज़मीन!
कुछ ही क्षणों में कालीन ज़मीन पर उतर आया। सभी आकाश की सैर कर बहुत खुश थे।
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गुरुवार, 1 सितंबर 2011

मेहनत का मंत्र


                       
श्याम सुन्दर अग्रवाल

स्कूल में एक जादूगर आया। उसने कहा कि वह एक मंत्र जानता है। मंत्र से वह कुछ भी कर सकता है। मंत्र पढ़कर उसने खाली हैट से सफेद खरगोश निकाला। एक रुपये के नोट को दस रुपये का बना दिया। पानी का दूध बना दिया।
जादूगर तमाशा दिखा चुका तो एक बच्चा उसके पास गया। बोला, जादूगर अंकल, मुझे अपना मंत्र सिखा दो।
तुम क्या करोगे मंत्र सीखकर?जादूगर ने पूछा।
परीक्षा में मेरे नंबर कम आते हैं। मंत्र से अपने नंबर बढ़ा लूंगा।
उसके पीछे खड़ा दूसरा लड़का बोला, अंकल, मैंने तो भगवान को सवा रुपये का प्रसाद चढ़ाने को भी बोला था। फिर भी फेल हो गया। मुझे भी मंत्र सिखा दो।
जादूगर ने कहा, बच्चो, ये तो मेहनत का मंत्र है। मैंने बहुत मेहनत कर अपने गुरू से ये सब खेल सीखे हैं। मेहनत और अभ्यास से इन्हें सफाई से करना सीख गया। जादू-वादू कुछ नहीं है। एक के दस कर सकता तो घर बैठकर ही रुपये बना लेता। तमाशा दिखाने का बच्चों से एक-एक रुपया क्यों लेता?
बच्चे हैरान थे। जादूगर बोला, बच्चो, मन लगाकर मेहनत करो। मेहनत के मंत्र से तुम्हें सफलता जरूर मिलेगी।
बच्चों ने जादूगर की बात मान खूब मेहनत की। परीक्षा में दोनों को बहुत अच्छे अंक मिले।
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